LOkOktiyA - 3_लोकोक्तियाँ - 3

चक्की में कौर डालोगे तो चून पाओगे : पहले कुछ रुपया पैसा खर्च करोगे या पहले कुछ खिलाओगे तभी काम हो सकेगा.

चट मँगनी पट ब्याह : शीघ्रतापूर्वक मंगनी और ब्याह कर देना, जल्दी से अपना काम पूरा कर देने पर उक्ति.

चमड़ी जाय पर दमड़ी न जाय : बहुत अधिक कंजूसी करने पर उचित.

चार दिन की चाँदनी फिर अँधेरी रात : थोड़े दिनों के लिए सुख तथा आमोद-प्रमोद और फिर दु:ख.

चाह है तो राह भी : जब किसी काम के करने की इच्छा होती है तो उसकी युक्ति भी निकल आती है।

चिकने घड़े पर पानी नहीं ठहरता : बेशर्म आदमी पर किसी बात का असर नहीं होता.

चिकने मुँह सब चूमते हैं : सभी लोग बड़े और धनी आदमियों की हाँ में हाँ मिलाते हैं.

चित भी मेरी, पट भी मेरी : हर तरह से अपना लाभ चाहने पर उक्ति.

चिराग तले अँधेरा : जहाँ पर विशेष विचार, न्याय या योग्यता आदि की आशा हो वहाँ पर यदि कुविचार, अन्याय या अयोग्यता पाई जाए.

बेवकूफ मर गए औलाद छोड़ गए : जब कोई बहुत मूर्खता का काम करता है तब उसके लिए ऐसा कहते हैं.

चूल्हे में जाय : नष्ट हो जाय। उपेक्षा और तिरस्कारसूचक शाप जिसका प्रयोग स्त्रियाँ करती हैं.

चोर उचक्का चौधरी, कुटनी भई प्रधान : जब नीच और दुष्ट मनुष्यों के हाथ में अधिकार होता है।

चोर की दाढ़ी में तिनका : यदि किसी मनुष्य में कोई बुराई हो और कोई उसके सामने उस बुराई की निंदा करे, तो वह यह समझेगा कि मेरी ही बुराई कर रहा है, वास्तविक अपराधी जरा-जरा-सी बात पर अपने ऊपर संदेह करके दूसरों से उसका प्रतिवाद करता है।

चोर-चोर मौसेरे भाई : एक व्यवसाय या स्वभाव वालों में जल्द मेल-जोल हो जाता है।

चोरी और सीनाजोरी : अपराध करना और जबरदस्ती दिखाना, अपराधी का अपने को निरपराध सिद्ध करना और अपराध को दूसरे के सिर मढ़ना.

चौबे गए छब्बे होने दुबे रह गए : यदि लाभ के लिए कोई काम किया जाय परन्तु उल्टे उसमें हानि हो.

छूछा कोई न पूछा : गरीब आदमी का आदर-सत्कार कोई नहीं करता.

छोटा मुँह बड़ी बात : छोटे मनुष्य का लम्बी-चौड़ी बातें करना.

जंगल में मोर नाचा किसने देखा : जब कोई ऐसे स्थान में अपना गुण दिखावे जहाँ कोई उसका समझने वाला न हो.

जने-जने से मत कहो, कार भेद की बात : अपने रोजगार और भेद की बात हर एक व्यक्ति से नहीं कहनी चाहिए.

जब आया देही का अन्त, जैसा गदहा वैसा सन्त : सज्जन और दुर्जन सभी को मरना पड़ता है।

जब ओखली में सिर दिया तो मूसलों का क्या डर : जब कष्ट सहने के लिए तैयार हुआ हूँ तब चाहे जितने कष्ट आवें, उनसे क्या डरना.

जब तक जीना तब तक सीना : जब तक मनुष्य जीवित रहता है तब तक उसे कुछ न कुछ करना ही पड़ता है।

जबरा मारे और रोने न दे : जो मनुष्य जबरदस्त होता है उसके अत्याचार को चुपचाप सहना होता है।

जर, जोरू, ज़मीन जोर की, नहीं और की : धन, स्त्री और ज़मीन बलवान् मनुष्य के पास होती है, निर्बल के पास नहीं.

जल की मछली जल ही में भली : जो जहाँ का होता है उसे वहीं अच्छा लगता है।